फिर एक दिन रोज की हे तरह बेकार कर दिया है। और न जाने कब तक में इसे हे बेकारी के इस बेबस संसार का हिस्सा होने वाला हु। न परहेज मुझे इस संसार से है बल्कि बेबस तो इस बात से हु कि मुझे खुद के ऊपर कोई भरोसा हे नहीं है। में वर्षों से इस कशमकश में हूं कि मेरे लिए क्या बना है या में किस चीज के लिए बना हु कुछ तो मिले जिससे में खुद को समझ सकूं। लेकिन शायद ये समझना या समझ पाना मेरे लिए उतना हे मुश्किल है जितना इस दुनिया में बिना पैसे के जीवन यापन करना। हालांकि हो सकता है कि मेरे लेख के उदाहरण हे इस बात को समझा रहे हो कि इस दुनिया के जोड़ से जुड़ हे नहीं पाया हु। और ऐसा भी नहीं है कि कोशिश नहीं की कभी जुड़ने की। लेकिन शायद मेरे नियति कुछ और ही है।
न में साहित्यकार न में कोई नेता या डॉक्टर या इंजिनियर ओर न हे कुछ में एक २६ बरस का एक बेकार ओर बेवस इंसान हु जो अपने जीवन के २६ बरस बीतने के बाद भी ये नहीं समझ पाया है कि उसका इस धरती पर जन्म हुआ हे क्यों है?
में अपने आस पास हर रोज देखता हु मुझसे छोटी उमर के बच्चे जिनकी उमर अभी २०_२१ बरस मात्र है। बे सभी अपने आदर्श बना चुके है। उनको पता है कि उन्हें आगे क्या करना है और क्यों उन्हें इस दुनिया में जीना है। क्या सिर्फ मेरे लिए हे इस दुनिया में अपना अस्तित्व खोजने में मुश्किल हो रही है।
या जो सफलता के शिखर पर है ने सभी इसी सवाल से नहीं गुजरे होंगे ?
खैर जब भी में अपने बारे में किसी से चर्चा करता हु तब मुझे दिखाई पड़ता है कि में उस इंसान के आगे एक बेबस इंसान की तरह कमजोर दिखाई पड़ता हु।
मैने किसी से भी अपने बारे में चर्चा करना छोड़ दिया है अब में मेरे बीच में सिर्फ सवाल है। मैने खुद से इस दुनिया के बीच जगह बनाने का प्रयास किया मैने खुद से उनके नियमों का पालन किया और बे सभी काम किए जिनसे में उनका हिस्सा बन सकता था लेकिन में दूसरों को खुश करने के आस में खुद को इसी जगह देखने लगा जहां मुझे होना हे नहीं चाहिए। क्योंकि मुझे ये समझा आया है कि में इस सभी के लिए नहीं मुझे कुछ अलग करना है बस मुझे नहीं पता वो क्या है।
क्या में भी ये समझ पाऊंगा कि मुझे क्यों इस संसार का हिस्सा बनाया गया जहां मुझे ये दुनिया ओर यहां के लोगों के हिसाब से बनाई इस दुनिया में जीना पसंद नहीं आ रहा है?
कहानी किरदार के आत्मा अनुभूति को जनम देने की लड़ाई है जिसमें किरदार के बेबसी को दिखाया गया है।
कहानी की शैली कहानी के किरदार की तरह धुन्ध में है। जैसे जैसे किरदार का विस्तार होगा। शैली रोचक और शिष्टाचार युक्त होती जायेगी।
अपना कीमती समय निकलकर इस कहानी को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद 🫶
दिनांक – 5 मार्च 2025
समय – 3:38 सुबह के समय